1
मुद्दतों बाद ये हुआ भी है
हम मिले चांदनी हवा भी है
घूमते बातचीत करते हैं।
दृश्य भी शांत रास्ता भी है।
साज़ पत्तों के बज रहे सुन लो,
देख लो पेड़ नाचता भी है।
उसका बहना बहा रहा हमको,
जिसके बहने में एक अदा भी है।
क्या छुपाना है इस खुले में अब,
हाल दिल का तुम्हें पता भी है।
इक अजब प्यास है किये बेकल,
बिन पीये सोमजल नशा भी है।
आता - जाता नहीं इधर कोई,
एकदम प्राकृतिक जगह भी है।
2
मिलन सुख याद आयेगा जि़यादा।
अकेलापन सतायेगा जि़यादा।
खयाल आयेगा जब भी गुलबदन का,
चुभन दिल में बढ़ायेगा जि़यादा।
हक़ीक़त में गंवायेगा उसे तू,
मगर ख़्वाबो में पायेगा जि़यादा।
कलपकर और भी रोया करेगा,
फिर आंसू पोंछ गायेगा जि़यादा।
मुहब्बत इकतरफा रह गयी है,
ये भी अइसास छायेगा जि़यादा।
सुहाना जब कभी मौसम बनेगा,
वियोगी छटपायेगा जि़यादा।
भरी दुनिया में दिलबर के अलावा,
अलग रहना ही भायेगा जि़यादा।
मुद्दतों बाद ये हुआ भी है
हम मिले चांदनी हवा भी है
घूमते बातचीत करते हैं।
दृश्य भी शांत रास्ता भी है।
साज़ पत्तों के बज रहे सुन लो,
देख लो पेड़ नाचता भी है।
उसका बहना बहा रहा हमको,
जिसके बहने में एक अदा भी है।
क्या छुपाना है इस खुले में अब,
हाल दिल का तुम्हें पता भी है।
इक अजब प्यास है किये बेकल,
बिन पीये सोमजल नशा भी है।
आता - जाता नहीं इधर कोई,
एकदम प्राकृतिक जगह भी है।
2
मिलन सुख याद आयेगा जि़यादा।
अकेलापन सतायेगा जि़यादा।
खयाल आयेगा जब भी गुलबदन का,
चुभन दिल में बढ़ायेगा जि़यादा।
हक़ीक़त में गंवायेगा उसे तू,
मगर ख़्वाबो में पायेगा जि़यादा।
कलपकर और भी रोया करेगा,
फिर आंसू पोंछ गायेगा जि़यादा।
मुहब्बत इकतरफा रह गयी है,
ये भी अइसास छायेगा जि़यादा।
सुहाना जब कभी मौसम बनेगा,
वियोगी छटपायेगा जि़यादा।
भरी दुनिया में दिलबर के अलावा,
अलग रहना ही भायेगा जि़यादा।
पता
एस 2/ 564, सिकरौल
वाराणसी - 221 002
मोबाईल : 094152 95137
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें