च्च् आवन लगे बरात त ओटन लगे कपास ज्ज् यह छत्तीसगढ़ी कहावत बहुत पुरानी है। इसका तात्पर्य होता है जब बारात पहुंचने को होती है तब हम कपास की बाती बनाने बैठते हैं। पूर्व से इस कार्य को हम करने से सदैव चूकते रहते हैं परिणाम कई - कई बार हमें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हम पहले से न सुनियोजित कार्यक्रम तय करते हैं और न ही उसे पूरा करने का प्रयास करते हैं। जल बिना जीवन शून्य है यह सब जानते सुनते हुए भी हम क्यों इसके बचत की नहीं सोचते ? जब विकट पानी की समस्या उपस्थित होने की स्थिति निर्मित होती है तब हमारा ध्यान इस ओर जाता है और नारे लगवाने लगते हैं हमें पानी की बचत करनी चाहिए। पानी का एक एक बून्द अमूल्य है। और फिर हमारे सामने पानी की समस्या विकराल रूप ले लेती है। महिलाएं एक - एक बूंद पानी पाने छीना झपटी, गाली - गलौज यहां तक कि मार पीट पर भी उतर आती है। हम ऐसी स्थिति निर्मित हो इसके पूर्व क्यों विचार नहीं करते कि यह समस्या आने वाली है। जबकि जल संकट का सामना हमें हर वर्ष करना पड़ता है। बावजूद क्यों हम संकट आने के कुछ दिन पहले ही जल बचाने, पानी का सदुपयोग करने का रट लगाने लगते हैं।
आज जल स्तर का जिस तेजी से गिरा है वह आगामी समय के लिए विकट समस्या पैदा करने जैसे संकेत है। हमें चाहिए कि एक समस्या की घड़ी आने का इंतजार न करें और समय पर समस्या के निदान के लिए भीड़ जायें। महज एक दो माह ही जल के महत्व को निरूपित करते हुए उसकी बचत की दुहाई न दे अपितु पूरे वर्ष भर हम पानी बचत के प्रति सचेत रहे तो निश्चित तौर पर हमें आगामी समय में पानी के घोर संकट का सामना करना नहीं पड़ेगा। अब हमें इस इस कहावत को चरितार्थ करने की आवश्यकता है कि च्च् कल करें सो आज कर आज करें सो अब ज्ज् तभी हम समस्या उपस्थित होने के पहले उस पर नियंत्रण कर पायेंगे। यह केवल किसी एक व्यक्ति, एक संस्था, या एक राज्य के लिए नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत वर्ष की बात है। आओ, इस आशय का शपथ ले कि हमें न सिर्फ चंद दिनों पानी बचत की दुहाई देनी है अपितु प्रति दिन पानी बचत के लिए चिंतन एवं विचार करना है।
आज जल स्तर का जिस तेजी से गिरा है वह आगामी समय के लिए विकट समस्या पैदा करने जैसे संकेत है। हमें चाहिए कि एक समस्या की घड़ी आने का इंतजार न करें और समय पर समस्या के निदान के लिए भीड़ जायें। महज एक दो माह ही जल के महत्व को निरूपित करते हुए उसकी बचत की दुहाई न दे अपितु पूरे वर्ष भर हम पानी बचत के प्रति सचेत रहे तो निश्चित तौर पर हमें आगामी समय में पानी के घोर संकट का सामना करना नहीं पड़ेगा। अब हमें इस इस कहावत को चरितार्थ करने की आवश्यकता है कि च्च् कल करें सो आज कर आज करें सो अब ज्ज् तभी हम समस्या उपस्थित होने के पहले उस पर नियंत्रण कर पायेंगे। यह केवल किसी एक व्यक्ति, एक संस्था, या एक राज्य के लिए नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत वर्ष की बात है। आओ, इस आशय का शपथ ले कि हमें न सिर्फ चंद दिनों पानी बचत की दुहाई देनी है अपितु प्रति दिन पानी बचत के लिए चिंतन एवं विचार करना है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें