गीत
बेले फैले छितराये।
आजाद देश की कुर्बानी की
कीमत फिर से समझाये।
सत्य , अहिंसा, महामंत्र की
रंगोली हो द्वारों में
भाईचारा की सुगंध हो,
मौसम मस्त बहारों में।
जड़ से भ्रष्ट्रचार मिटाओ
नाश करो आतंक को,
चमचागिरी को तोड़ फेंको
बिच्छू जैसे डंक को।
रामराज्य की मधुर कल्पना
करना केवल सपना है,
सभी पराये से लगते हैं
यहाँ न कोई अपना है।
चोरी , डाका, हत्याओं का
वातावरण विषैला है,
क्योंकि विचारों और भावनाओं
का स्त्रोत ही मैला है।
देश द्रोह है रिश्वतखोरी
महानाश का कारण है,
मिटटी की शपथ मिटा दो
काम नहीं साधारण है।
रोपे पौधे हर आँगन में
सच्चाई ईमान का,
हीरा जैसे चमक उठेगा
चेहरा हिन्दुस्तान का।
पता -
' ब्रम्हपुरी', छुईखदान, जिला - राजनांदगांव(छग.)
- आचार्य रमाकांत शर्मा
बेले फैले छितराये।
आजाद देश की कुर्बानी की
कीमत फिर से समझाये।
सत्य , अहिंसा, महामंत्र की
रंगोली हो द्वारों में
भाईचारा की सुगंध हो,
मौसम मस्त बहारों में।
जड़ से भ्रष्ट्रचार मिटाओ
नाश करो आतंक को,
चमचागिरी को तोड़ फेंको
बिच्छू जैसे डंक को।
रामराज्य की मधुर कल्पना
करना केवल सपना है,
सभी पराये से लगते हैं
यहाँ न कोई अपना है।
चोरी , डाका, हत्याओं का
वातावरण विषैला है,
क्योंकि विचारों और भावनाओं
का स्त्रोत ही मैला है।
देश द्रोह है रिश्वतखोरी
महानाश का कारण है,
मिटटी की शपथ मिटा दो
काम नहीं साधारण है।
रोपे पौधे हर आँगन में
सच्चाई ईमान का,
हीरा जैसे चमक उठेगा
चेहरा हिन्दुस्तान का।
पता -
' ब्रम्हपुरी', छुईखदान, जिला - राजनांदगांव(छग.)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें