- विद्याभूषण मिश्र
जात - पाँत के गइस जमाना, गुन के मान बढ़े हे।
कँटही बमरी के ऊपर मा, बोदी नार चढ़े हे॥
छुआछूत के बात ल टारा
मन के दिया जलावा।
दया - मया के नवा अँजोरी
ले अँधियार भगावा॥
अँधरा के आँखी खुल जाही, जेमा प्रेम भरे हे।
जेकर खाथन - पीथन ओहर
सबके धरती मइया।
सबे जात के जल गंगाजल
शिवजी मान रखइया॥
जगन्नाथ जी के द्वार हर, सब बर खुले खड़े हे।
घाठ - घठौंधा अलग - अलग हें
अब ये सोच मिटावा।
हमर उँकर पारा कहि - कहि के
भेद - भाव झन लावा॥
धान के बिरवा अलग - अलग हे, एक्के रंग भरे हे।
रंग - रंग के फूल भले हें
माला एक कहाथे।
भारत माता ओला पहिरै
जय - जय सुर लहराथे॥
सत्य - अहिंसा काते बर, मन चरखा चरर चले हे।
कँटही बमरी के ऊपर मा, बोदी नार चढ़े हे॥
छुआछूत के बात ल टारा
मन के दिया जलावा।
दया - मया के नवा अँजोरी
ले अँधियार भगावा॥
अँधरा के आँखी खुल जाही, जेमा प्रेम भरे हे।
जेकर खाथन - पीथन ओहर
सबके धरती मइया।
सबे जात के जल गंगाजल
शिवजी मान रखइया॥
जगन्नाथ जी के द्वार हर, सब बर खुले खड़े हे।
घाठ - घठौंधा अलग - अलग हें
अब ये सोच मिटावा।
हमर उँकर पारा कहि - कहि के
भेद - भाव झन लावा॥
धान के बिरवा अलग - अलग हे, एक्के रंग भरे हे।
रंग - रंग के फूल भले हें
माला एक कहाथे।
भारत माता ओला पहिरै
जय - जय सुर लहराथे॥
सत्य - अहिंसा काते बर, मन चरखा चरर चले हे।
पता- पुरानी बस्ती, ब्राम्हणपारा, मस्जिद मार्ग, मु.पो. - जांजगीर(छग.)
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