- संतोष प्रधान ' कचंदा'
स्वतंत्रता के पावन पर्व पर, जन में उठी उमंगा॥
ये भारत वर्ष हमारा, प्राणों से भी बढ़कर प्यारा।
गली - गली प्रभात फेरी में, गूँज रहा है ये नारा॥
खुशियाँ छायी जन - जन में, तन भी हो गया तिरंगा।
स्वतंत्रता के पावन पर्व पर, जन में उठी उमंगा॥
वीर बहादुर जवानों का, कर लो कुर्बानी याद।
गुलामी की जंजीर तोड़, अंग्रेजों से किया आजाद॥
आजादी की सौगात देकर, छोड़ चले सब संगा।
स्वतंत्रता के पावन पर्व पर, जन में उठी उमंगा॥
हो गयी समाप्त जब, सहनशीलता की मर्यादा।
मन में जागृत हुआ, स्वाधीनता प्राप्ति का इरादा॥
स्वाधीन किया वतन को, बहाकर खून की गंगा।
स्वतंत्रता के पावन पर्व पर, जन में उठी उमंगा॥
सारा देश ऋणि है, शहीद हुए वीर जवानों का।
सदा नत नमन करेगा, ऐसा महा वीर महानों का॥
पन्द्रह अगस्त अमर रहेगा, याद में इसकी जंगा।
स्वतंत्रता के पावन पर्व पर, जन में उठी उमंगा॥
पता - मु. - कचंदा, पो . - झरना,
व्हाया - बाराद्वार, जि - जांजगीर(छग.)
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