समय का चक्र चलता है
डाँ रतन जैन
समय का चक्र चलता है ।
समय सब दिन बदलता है ।।
समय के साथ चलना चाहिए ।
समय के हाथ पलना चाहिए ।।
समय का करें अभिनंदन ।
कवि की है यही अर्चन ।।
समय से दूर जाना ही विफलता है ।
समय का चक्र ...................... ।।
समय न प्रेत बाधा है ।
समय मोहन न राधा है ।।
समय दिन रात जगता है ।
समय जल्दी ही भरता है ।।
समय के द्वार मे नवदीप जलता है ।
समय का चक्र .....................।।
समय सर - ज्ञान हैं बांटो ।
समय को समय से काटो ।।
समय बीता नहीं आता ।
समय आगे बढ़ता जाता ।।
समय से विमुख राही हाथ मलता है ।
समय का चक्र ....................... ।।
समय न कहीं टिकता है ।
समय न हाट बिकता है ।।
समय जीवन है मरण का ।
समय पूजा है शरण है ।।
समय अभ्यर्थना से खूब फलता है ।
समय का चक्र ....................... ।।
मेरे देश की माटी
मेरे देश की माटी
मेरे माथे का है चंदन ।
हर सांसे करती है
मेरी भक्ितमय अभिनंदन ।।
सागर की उत्ताल तरंगे,
लेती है अंगड़ाई ।
नित्य सकारे रवि की किरणे,
देती है अरूणाई ।।
प्रकृति निरंतर छटा बिखेरे
सतरंगा परिवेश ।
अति प्राचीन संस्कृति वाला,
है यह मेरा देश ।।
पुन्य रूप की करूं आरती,
आराधना शत वंदन ।
आर्य पुत्र हर वेदों के
मंत्रो को गाने वाले ।
हर संकट में सभी एक
दुदुंभी बजाने वाले ।।
मौसम हंसता वन खेतों में
त्यौहारों का मेला ।
राम कृष्ण गौतम गांधी ने
इसके रज में खेला ।।
सूरज चांद सितारे करते
किरणों का स्पंदन ।
मेरे देश की माटी,
मेरे माथे का चंदन ।।
कश्मीर अनमोल रतन है
उच्च हिमालय प्रहरी ।।
किल्लोलित करती है पावन
गंगा यमुना गहरी ।।
भिन्न - भिन्न भाषा बोली है,
पृथक - पृथक परिधान ।
सौ - सौ बार नमन करता हूं.
जय जय हिन्दुस्तान ।।
देता है संदेश प्रगति का
अल्हड़ मलय पवन ।
मेरे देश की माटी,
मेरे मस्तक का चंदन ।।
अतुल यहां की खनिज संपदा,
हीरो की है खेती ।।
केवल देती दात्री धरती,
शांति निरस्त्रीरण हमारी
रीति - नीति पहिचान ।
इसिलिए दुनिया में अच्छा
मेरा देश महान ।।
गरिमा - महिमा यश गाथाएं,
हैं आखों का अंजन ।
मेरे देश की माटी,
मेरे माथे का चंदन ।।
डाँ रतन जैन
समय का चक्र चलता है ।
समय सब दिन बदलता है ।।
समय के साथ चलना चाहिए ।
समय के हाथ पलना चाहिए ।।
समय का करें अभिनंदन ।
कवि की है यही अर्चन ।।
समय से दूर जाना ही विफलता है ।
समय का चक्र ...................... ।।
समय न प्रेत बाधा है ।
समय मोहन न राधा है ।।
समय दिन रात जगता है ।
समय जल्दी ही भरता है ।।
समय के द्वार मे नवदीप जलता है ।
समय का चक्र .....................।।
समय सर - ज्ञान हैं बांटो ।
समय को समय से काटो ।।
समय बीता नहीं आता ।
समय आगे बढ़ता जाता ।।
समय से विमुख राही हाथ मलता है ।
समय का चक्र ....................... ।।
समय न कहीं टिकता है ।
समय न हाट बिकता है ।।
समय जीवन है मरण का ।
समय पूजा है शरण है ।।
समय अभ्यर्थना से खूब फलता है ।
समय का चक्र ....................... ।।
मेरे देश की माटी
मेरे देश की माटी
मेरे माथे का है चंदन ।
हर सांसे करती है
मेरी भक्ितमय अभिनंदन ।।
सागर की उत्ताल तरंगे,
लेती है अंगड़ाई ।
नित्य सकारे रवि की किरणे,
देती है अरूणाई ।।
प्रकृति निरंतर छटा बिखेरे
सतरंगा परिवेश ।
अति प्राचीन संस्कृति वाला,
है यह मेरा देश ।।
पुन्य रूप की करूं आरती,
आराधना शत वंदन ।
आर्य पुत्र हर वेदों के
मंत्रो को गाने वाले ।
हर संकट में सभी एक
दुदुंभी बजाने वाले ।।
मौसम हंसता वन खेतों में
त्यौहारों का मेला ।
राम कृष्ण गौतम गांधी ने
इसके रज में खेला ।।
सूरज चांद सितारे करते
किरणों का स्पंदन ।
मेरे देश की माटी,
मेरे माथे का चंदन ।।
कश्मीर अनमोल रतन है
उच्च हिमालय प्रहरी ।।
किल्लोलित करती है पावन
गंगा यमुना गहरी ।।
भिन्न - भिन्न भाषा बोली है,
पृथक - पृथक परिधान ।
सौ - सौ बार नमन करता हूं.
जय जय हिन्दुस्तान ।।
देता है संदेश प्रगति का
अल्हड़ मलय पवन ।
मेरे देश की माटी,
मेरे मस्तक का चंदन ।।
अतुल यहां की खनिज संपदा,
हीरो की है खेती ।।
केवल देती दात्री धरती,
शांति निरस्त्रीरण हमारी
रीति - नीति पहिचान ।
इसिलिए दुनिया में अच्छा
मेरा देश महान ।।
गरिमा - महिमा यश गाथाएं,
हैं आखों का अंजन ।
मेरे देश की माटी,
मेरे माथे का चंदन ।।
छुईखदान , जिला - राजनांदगांव (छग.)
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