इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख खेती-किसानी ले जुड़े तिहार हरे हरेलीः ओमप्रकाश साहू ' अंकुर ' यादें फ्लैट सं. डी 101, सुविधा एन्क्लेव : डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ' मृदुल' कहानी वह सहमी - सहमी सी : गीता दुबे अचिंत्य का हलुवा : राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल एक माँ की कहानी : हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन अनुवाद - भद्रसैन पुरी कोहरा : कमलेश्वर व्‍यंग्‍य जियो और जीने दो : श्यामल बिहारी महतो लधुकथा सीताराम गुप्ता की लघुकथाएं लघुकथाएं - महेश कुमार केशरी प्रेरणा : अशोक मिश्र लाचार आँखें : जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी तीन कपड़े : जी सिंग बाल कहानी गलती का एहसासः प्रिया देवांगन' प्रियू' गीत गजल कविता आपकी यह हौसला ...(कविता) : योगेश समदर्शी आप ही को मुबारक सफर चाँद का (गजल) धर्मेन्द्र तिजोरी वाले 'आजाद' कभी - कभी सोचता हूं (कविता) : डॉ. सजीत कुमार सावन लेकर आना गीत (गीत) : बलविंदर बालम गुरदासपुर नवीन माथुर की गज़लें दुनिया खारे पानी में डूब जायेगी (कविता) : महेश कुमार केशरी बाटुर - बुता किसानी/छत्तीसगढ़ी रचना सुहावत हे, सुहावत हे, सुहावत हे(छत्तीसगढ़ी गीत) राजकुमार मसखरे लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रचनाएं उसका झूला टमाटर के भाव बढ़न दे (कविता) : राजकुमार मसखरे राजनीति बनाम व्यापार (कविता) : राजकुमार मसखरे हवा का झोंका (कविता) धनीराम डड़सेना धनी रिश्ते नातों में ...(गजल ) बलविंदर नाटक एक आदिम रात्रि की महक : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी से एकांकी रूपान्तरणः सीताराम पटेल सीतेश .

बुधवार, 29 नवंबर 2023

लिस्ट

 

Beena Sharma

     आकाश की बहन अक्षरा के लड़के रवि की शादी तय हो गई थी जिसके लिए वह कल ही भात नौतने आई थी और साथ में भैया को शादी का निमंत्रण और भात में देने के लिए सामान की लिस्ट भी बनाकर दे गयी थी आकाश ने शादी का कार्ड तो देख लिया था परंतु ,भात की लिस्ट अभी देखी नहीं थी एक कंपनी में नौकरी करके मामूली वेतन पाकर बड़ी मुश्किल से अपने परिवार का पालन पोषण करने वाला आकाश को मन ही मन इस बात की चिंता सता रही थी कि यदि बहन ने भात में रुपए, गहने की डिमांड करी तो वे उसे कैसे पूरी करेंगे?
      बेटे को चिंतित देख कर उसकी मम्मी उर्मिला उसे समझाते हुए बोली " बेटा एक बार लिस्ट को पढ़कर तो देख मैंने अक्षरा को बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं जिसके कारण वह पति और खुद की कमाई के कारण मिले पैसों में ही संतुष्ट रहती है उसके मन में लालच की कोई भावना नहीं है हां दूसरों की मदद करने को वह हमेशा तत्पर रहती है मांगना तो उसके संस्कार में है ही नहीं शादी के बाद उसने आज तक कभी हमसे कोई चीज मांगी मैं जो भी उसे दे दूं चुपचाप हाथ जोड़ कर ले जाती है जब भी तुझ पर कोई विपत्ति आती है सबसे पहले दौड़कर वही आती है साथ में पैसे भी लेकर आती है ताकि तेरी आर्थिक मदद कर सके भले ही तू स्वाभिमान के कारण उससे पैसे लेने से मन कर देता है और फिर वह अपने घर की हालत जानती भी है वह तुझसे कोई ऐसी डिमांड ना करेगी जो तू पूरी न कर सके मैंने उसे ऐसे ही संस्कार दिए हैं वह मेरे दिए हुए संस्कारों की लाज जरूर रखेगी मुझे उसे पर पूरा विश्वास है" उनकी बात सुनकर बहू आरती व्यंग्यात्मक लहजे में बोली" ऐसा कुछ भी नहीं है जब बेटी की शादी बड़े घर में हो जाती है तो बेटी सब संस्कार भूल जाती है उसे अपने मायके से ज्यादा ससुराल वालों के स्टेटस की ज्यादा फिक्र रहती है यदि ऐसी बात ना होती तो वह लिस्ट क्यों बनाती? आप पढ़िए ना लिस्ट में अक्षरा ने क्या लिखा है? पत्नी की बात सुनकर आकाश जब लिस्ट पढ़ने लगा तो लिस्ट पढ़ कर उसकी आंखों में आंसू आ गए थे जिन्हें देखकर उसकी मम्मी और आरती घबरा गई थी उन्हें लगा शायद अक्षरा ने लिस्ट में कोई ऐसी बात लिख दी है जिसे पुरा ना कर पाने के बोझ के कारण आकाश की आंखें भर आई।
      " बेटा ऐसा क्या लिख दिया अक्षरा ने लिस्ट में जिससे तेरी आंखों में आंसू आ गए मुझे बता तो सही" उर्मिला ने बेचैनी से पूछा तो आकाश मुस्कुराते हुए बोला "मम्मी जी मेरी बहन ने आपके दिए संस्कारों की लाज रख ली वह अभी भी ऐसी है जैसी शादी से पहले थी रईस घर में शादी होने के बाद भी वह बिल्कुल नहीं बदली शादी करने से पहले जब भी मैं उससे उसकी कोई ख्वाहिश पूछता तो वह मुस्कुरा कर कहती थी "भैया मुझे कुछ नहीं चाहिए बस आपका आशीर्वाद चाहिए वह तो कोई लिस्ट बना ही नहीं रही थी जब मैंने जबर्दस्ती उसे समान की लिस्ट बनाने को कहा तो इस लिस्ट में भी उसने यही लिखा "भैया भात की थाली में बस एक रुपया और अपना आशीर्वाद दे देना यही मेरे लिए सबसे बड़ी दौलत होगी आपके दिए हुए संस्कार उसमें कूट-कूट कर भरे हुए हैं मां मैं कैसा मूर्ख था जो अपनी बहन के बारे में गलत सोचने लगा काश! संसार की हर बहन ऐसी हो तो भाइयों को कोई भी रस्म बोझ ना लगे मुझे गर्व है अपनी बहन पर और मां आपके दिए संस्कारों पर जिसने मुझे चिंता मुक्त कर दिया अब मैं खुशी-खुशी पूरे परिवार के साथ रवि की शादी में भात भरने जाऊंगा" कहते हुए आकाश के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई थी जिसे देखकर उसकी मम्मी और आरती के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई थी।
      आज भी हमारे समाज में ऐसी बहुत सी रस्मे है जिन्हें निभाने के चक्कर में पिता और भाई कई बार अपनी जमीन और गहने तक भी गिरवी रख देते हैं जिससे इन रस्मो का माधुर्य खो जाता है संपन्न लोग तो पैसों के बल पर ये रस्मे पूरी कर देते हैं परंतु, मध्यम वर्गीय परिवार के लिए यह रस्मे कई बार मुसीबत बन जाती हैं यदि बहन या उसके ससुराल पक्ष के लोग समझदारी दिखाएं तो सभी रस्मे खुशी-खुशी से निभाई जा सकते हैं इसके लिए बेटियों को अच्छे संस्कार देना बहुत जरूरी है ताकि किसी भी परिस्थिति में वे बदले ना।

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