पुष्पा कुमारी
बिना हेलमेट दिखें उस मोटरसाइकिल सवार को रुकने का और थाना प्रभारी संग अन्य पुलिसकर्मियों को जीप में ही ठहरने का इशारा कर वह नई बहाल हुई महिला सब - इंस्पेक्टर खुद ही जीप से उतर कर उसके करीब गई।
- जल्दी में भूल गया।
वह अधेड़ उम्र का मोटरसाइकिल चालक उसकी ओर देख अपना माथा सहलाने लगा।
- फाइन भरिए!
- कितना?
- सौ रूपए।
- लेकिन बटुआ तो मैं लाया ही नहीं!
- क्यों?
- जेब में पचास का नोट रख नुक्कड़ वाली दुकान तक आया था लेकिन वहां राजमा मसाला मिला नहीं तो आगे बढ़ गया।
- मतलब ट्रैफिक रूल राजमा के चक्कर में टूटा है!
- लेकिन मैडम! आप तो हमको पकड़ लिए।
- फाइन भरना पड़ेगा!
- कहां से ?
- हम से उधार ले लीजिए!
- उसकी बात सुन आश्चर्य मिश्रित खुशी अधेड़ के चेहरे पर तैर गई और उस महिला सब - इंस्पेक्टर ने अपनी जेब से बटुआ निकाल एक सौ का नोट उस अधेड़ को थमाते हुए हिदायत दी -आगे से जरा ख्याल रखिएगा।
सड़क की दूसरी ओर खड़े ट्रैफिक हवलदार को उसका फाइन काटने का इशारा कर वह वापस जीप में आ बैठी। मैडम का इशारा पाते ही जीप खुल गई और इधर दूर से ही इस पूरे मामले का अवलोकन कर अनुमान लगाता थाना प्रभारी बोल उठा - मैडम लगता है! आप अपने जान - पहचान वालों को भी नहीं छोड़ती!
उधर फाइन की पर्ची काटते ट्रैफिक हवलदार और फाइन भरते अधेड़ को सम्मान भरी निगाहों से देख आगे निकलती वह मुस्कुराई ...।
- पिताजी थे हमारे!
पुणे ( महाराष्ट्र )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें