इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख खेती-किसानी ले जुड़े तिहार हरे हरेलीः ओमप्रकाश साहू ' अंकुर ' यादें फ्लैट सं. डी 101, सुविधा एन्क्लेव : डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ' मृदुल' कहानी वह सहमी - सहमी सी : गीता दुबे अचिंत्य का हलुवा : राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल एक माँ की कहानी : हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन अनुवाद - भद्रसैन पुरी कोहरा : कमलेश्वर व्‍यंग्‍य जियो और जीने दो : श्यामल बिहारी महतो लधुकथा सीताराम गुप्ता की लघुकथाएं लघुकथाएं - महेश कुमार केशरी प्रेरणा : अशोक मिश्र लाचार आँखें : जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी तीन कपड़े : जी सिंग बाल कहानी गलती का एहसासः प्रिया देवांगन' प्रियू' गीत गजल कविता आपकी यह हौसला ...(कविता) : योगेश समदर्शी आप ही को मुबारक सफर चाँद का (गजल) धर्मेन्द्र तिजोरी वाले 'आजाद' कभी - कभी सोचता हूं (कविता) : डॉ. सजीत कुमार सावन लेकर आना गीत (गीत) : बलविंदर बालम गुरदासपुर नवीन माथुर की गज़लें दुनिया खारे पानी में डूब जायेगी (कविता) : महेश कुमार केशरी बाटुर - बुता किसानी/छत्तीसगढ़ी रचना सुहावत हे, सुहावत हे, सुहावत हे(छत्तीसगढ़ी गीत) राजकुमार मसखरे लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रचनाएं उसका झूला टमाटर के भाव बढ़न दे (कविता) : राजकुमार मसखरे राजनीति बनाम व्यापार (कविता) : राजकुमार मसखरे हवा का झोंका (कविता) धनीराम डड़सेना धनी रिश्ते नातों में ...(गजल ) बलविंदर नाटक एक आदिम रात्रि की महक : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी से एकांकी रूपान्तरणः सीताराम पटेल सीतेश .

शुक्रवार, 21 मई 2021

आपका हेलमेट कहां है?

पुष्पा कुमारी


          बिना हेलमेट दिखें उस मोटरसाइकिल सवार को रुकने का और थाना प्रभारी संग अन्य पुलिसकर्मियों को जीप में ही ठहरने का इशारा कर वह नई बहाल हुई महिला सब - इंस्पेक्टर खुद ही जीप से उतर कर उसके करीब गई।
- जल्दी में भूल गया। 
          वह अधेड़ उम्र का मोटरसाइकिल चालक उसकी ओर देख अपना माथा सहलाने लगा।
- फाइन भरिए!
- कितना?
- सौ रूपए।
- लेकिन बटुआ तो मैं लाया ही नहीं!
- क्यों?
- जेब में पचास का नोट रख नुक्कड़ वाली दुकान तक आया था लेकिन वहां राजमा मसाला मिला नहीं तो आगे बढ़ गया।
- मतलब ट्रैफिक रूल राजमा के चक्कर में टूटा है! 
- लेकिन मैडम! आप तो हमको पकड़ लिए।
- फाइन भरना पड़ेगा!
- कहां से ?
- हम से उधार ले लीजिए!
- उसकी बात सुन आश्चर्य मिश्रित खुशी अधेड़ के चेहरे पर तैर गई और उस महिला सब - इंस्पेक्टर ने अपनी जेब से बटुआ निकाल एक सौ का नोट उस अधेड़ को थमाते हुए हिदायत दी -आगे से जरा ख्याल रखिएगा।
सड़क की दूसरी ओर खड़े ट्रैफिक हवलदार को उसका फाइन काटने का इशारा कर वह वापस जीप में आ बैठी। मैडम का इशारा पाते ही जीप खुल गई और इधर दूर से ही इस पूरे मामले का अवलोकन कर अनुमान लगाता थाना प्रभारी बोल उठा - मैडम लगता है! आप अपने जान - पहचान वालों को भी नहीं छोड़ती!
उधर फाइन की पर्ची काटते ट्रैफिक हवलदार और फाइन भरते अधेड़ को सम्मान भरी निगाहों से देख आगे निकलती वह मुस्कुराई ...।
- पिताजी थे हमारे!
पुणे ( महाराष्ट्र )

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