रीझे यादव
टीवी पर आनेवाले एक
सीरियल"तारक मेहता का उल्टा चश्मा"चश्मा देखकर मुझे बिल्कुल नहीं लगता कि
ये कलियुग की कहानी है, जहां देवता सदृश्य पड़ोसी रहते हैं।निर्देशक
पौराणिक गाथा के पात्रों को कलियुगी वेशभूषा में दिखाने की भूल कर बैठा है
शायद!!खैर,मुझे क्या?मेरी पत्नी दयाबेन की फैन है और जब भी उसे नई साड़ी
खरीदवानी होती है, डिजाइन देखने के लिए इस सिरियल का एपिसोड देखने के लिए
बाध्य करती है। नहीं कहने का साहस जिस दिन जुटा पाउंगा,शायद उस दिन मुझे
भारत रत्न मिल जाएगा। लेकिन ये एक सुंदर सपना है,जो शायद इस जन्म में संभव न
हो पाए। हालांकि मेरी तरह से बहुतों को पड़ोसी से एलर्जी होती है, लेकिन
पड़ोसन में विशेष रूचि लेते हैं, भाभीजी वाले लड्डू के भैय्या और भभूति जी
की तरह। लेकिन हम इस सुख से वंचित हैं,क्यूंकि हमारे जितने भी पड़ोसी हैं
या तो बुजुर्ग हैं या हमसे छोटे।तो उन लोगों की धर्मपत्नियां या तो हमारी
चाची या बहू।हमारा किस्सा ही खतम!!
मैं पड़ोसियों
से कदर व्यथित हूं कि कभी कभी सन्यास का खयाल मन में आने लगता है।पूरे देश
में जहां सामाजिक दूरी का पालन करने को कहा जा रहा है पड़ोस वाली चाची रोज
रोज कोई ना कोई चीज मांगने आती है और मेरे परिवार और मेरी अर्थव्यवस्था को
खतरे में डाल रही है।बाजू वाले सिन्हाजी मास्क लगाकर आते हैं और चाय पीकर
दुनिया जहान की बातें सुनाते हैं।इस दौरान उनके मुंह से थूंक की फुहारें
छूटती रहती है,जिनका निशाना मैं कभी भी बन सकता हूं।एक पड़ोसी मेरे टूटे
अहाते की ईंट ले जा रहा है तो दूसरी पड़ोसी मेरे अहाते के दीवार का
अस्तित्व खतम कर कब्जा करने की नियत में है।
मेरी
तरह देश की हालत भी पड़ोसियों के कारण खराब है।मेरी तरह देश की ग्रहदशा भी
खराब चल रही है।हमारे क्रिकेट मैच वाले चिर प्रतिद्वंद्वी और आतंकवाद
कारखाना वाले पाकिस्तान आए दिन गोलाबारी पर उतर आता है।पूरी दुनिया जहां
कोरोना से लड़ने में लगी है।ये हमसे लड़ने में लगा रहता है।सब देश अपने
नागरिकों को कोरोना से सुरक्षित रखने की जी तोड़ कोशिश कर रही है,ये सिर्फ
घुसपैठ की कोशिश में लगा रहता है।ऊपर से उनके चीनी ताऊ उसको सपोर्ट करने
में लगा है।उनका खुद का देश गर्त में जा रहा है, लेकिन उनको पड़ोसी को
परेशान करने में मजा आ रहा है। बिल्कुल मेरे पड़ोसियों की तरह,जो खुद तो
कर्ज लेकर अपनी पत्नियों को ज्वेलरी लाकर दे रहे हैं,और मेरी सुखी गृहस्थी
में आग लगाने के लिए चिंगारी का प्रबंध कर रहे हैं।
चीन से तो मुझे इतनी एलर्जी हो गई है कि भरे गर्मी में मैंने गुड़ चाय
पीना शुरू कर दिया है।टीकटाक और लंदफंद चीनी एप को मैंने कब का डीलीट कर
दिया था।हो सकता है,मेरी ही प्रेरणा से भारत सरकार को चीनी एप बैन करने का
आइडिया आया हो। टेलीपैथी भी एक विज्ञान है भई!!पर मैं इसका श्रेय नहीं लेना
चाहता।चीन अपनी आर्थिक लाभ के लिए दुनिया का बेड़ा गर्क किए बैठा
है।कोरोना महामारी का गिफ्ट दुनिया भर में बांटने के बाद अब उसका मेडिकल
सामग्री चमकाने का कारोबार खूब चमक रहा है।उनका फेंगसुई वाला बुड्ढा खुशी
से लोट-पोट हुआ जा रहा है।पीठ पर पड़ी धन की गठरी भारी होती जा रही है।बाकि
विश्व के सारे देश कंगाली के करीब है।ऊपर से हमारी जमीन पर जबरदस्ती
दादागिरी करके कब्जा कर रहे थे।वो तो चायवाले का अनुभव काम आया और उसने
चीनी को सही तापमान तक गरम किया और देश को जायका मिला। हमने भी अपनी
राष्ट्र भक्ति दिखाई और चीनी सामान का उपयोग न करने की ठानी।चाहे भले ही
थोड़ी महंगी खरीदी करेंगे,पर लेंगे स्वदेशी माल-मेड इन भारत।
एक पड़ोसी नी नया नया बिजनेस खोला है-नक्शा छापने का।ये मेरे नहीं,देश के
पडोसी हैं साब जी!!!अब आप समझ ही गए होंगे।ये हमेशा से हमारे देश के साथ
प्रगाढ़ रिश्ते की बातें करता है।पर ये भी मुंह में राम बगल में छुरी की
पालिसी का पालन करते दिख रहा है।अपने एक नये जोड़ीदार के आर्थिक प्रलोभन ने
उनकी मति भ्रष्ट कर रखी है।उनके मुखिया तो यहां तक कह रहे हैं कि रामजी का
जन्म अयोध्या में नहीं,बल्कि उनके देश में हुआ था।नक्शे में छेड़छाड़ करते
अब वो इतिहास से भी छेड़छाड़ करने पर उतर आए हैं।खैर,वो जाने और राम जाने।
पढ़े लिखे को फारसी क्या और हाथ कंगन को आरसी क्या!!
एक पडोसी अपनी आधी आबादी को हमारे यहां भेजने के बाद दूसरे पड़ोसी के
साथ मधुर संबंध बनाने में लगा है। उसे अपनी पैदाइश की बातें भी याद
नहीं।क्या करें?सब वक्त-वक्त की बातें हैं।वैसे भी एहसान लंबे समय तक कहां
याद रखे जाते हैं।
एक पड़ोसी अभी शांत है लेकिन क्या पता?कल वो भी कहीं रावण वध का बदला लेने आ गया तो!!!
फिलहाल तो पड़ोसी परेशानी का सबब बने हैं,मेरे लिए भी और देश के लिए भी।
टेंगनाबासा(छुरा)
mail : rijhe999@gmail.com
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