रख लेना उस पल को सहेज कर
जो गुजारे थे तुम्हारे संग
वो पल रख लिये है मैंने
सहेज कर बड़े जतन से
अपने पूजा घर में
वो थे ही इतने पवित्र
उन्हें और रखता भी कहाँ
वो बाते जो की थी तुम्हारे साथ
रखी दी है गुल्लक में
खुश हो लेता हूँ किसी नन्हे बच्चे सा
चुपके से उन्हें खनखना कर
वो फोटोज़ जो थे तुम्हारे
सजा रखे है एलबम में
तुमने चाहा था जला दूँ उन्हें
मुझे मुआफ़ कर देना
मैं वो कर नही पाया
तन्हाई के बेरहम पलों में
कर लेता हूँ कुछ बातें उनसे
तुम्हारे खत, बिंदी,काजल और सूखे फूल
उस गुलमोहर के जिसके नीचे बैठ
हम बतियाते थे घण्टो
सब कुछ तो रख लिया है सहेज कर
कुछ भी तो बाकी रह नही गया
रह गया है तो सिर्फ वो पल
जो होंगा क़यामत का
चाहता हूँ आना
उस घड़ी कुछ लम्हों के लिये
मेरी आँखों को चूम बंद कर देना उन्हें
जला देना एक दीया
रख लेना उस पल को सहेज कर
रख लोगी ना ?
" प्रेम "
1
हम जब तक
मिले न थे
प्रेम में थे
मिलने के बाद
बरगद होती अपेक्षाओं में
तुलसी के बिरवा सा
बचा रह गया प्रेम
2
नफरतो की इस जंग में
खत्म कर देंगी नफरते एक दूजे को
बचा रह जायेगा प्रेम
बचे रह जायेंगे जो है प्रेम में
G - 9 सहकारी परिसर
कल्पना नगर ,रायसेन रोड़
भोपाल (म प्र)
मो 8208020417 / 9702723119
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