बलजीत सिंह बेनाम
दुःख का सागर मानी दुनिया लोगों में अपवाद हुए
मन को पावन कर के गौतम ख़ुद से ही आज़ाद हुए
चाहत की यह धारा तो बहती आई है युग युग से
लैला मजनूं सस्सी पुन्नू चाहत कर दिलशाद हुए
शायर सुनते लिखते पढ़ते मिलते थे उस्तादों से
कुछ चेलों ने गुर सीखे वो आगे चल उस्ताद हुए
रब की मर्ज़ी को ही सब कुछ मानेंगे ग़म के मारे
ग़ैरों पर ममता वारेंगे क्या गर बेऔलाद हुए
दिल से दिल की भाषा को ख़ामोशी की दरक़ार बहुत
होंठों को सिल ही जाने दो नैनों में सम्वाद हुए
लेखक परिचय
जन्म तिथि:23/5/1983
शिक्षा:स्नातक
सम्प्रति:संगीत अध्यापक
उपलब्धियां:विविध मुशायरों व सभा संगोष्ठियों में काव्य पाठ
विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित
विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित
सम्पर्क सूत्र: 103/19 पुरानी कचहरी कॉलोनी, हाँसी
मोबाईल नंबर:9996266210
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