गांव के चौपाल में चहकती गौरैया
मीठे-मीठे गीत सुनाती गौरैया
गुड़िया को धीरे से रिझाती गौरैया
याद आज आती है
हरे-भरे पेड़ों पर फुदकती गौरैया
घर के मुंडेर पर थिरकती गौरैया
स्मृति में बस जाती है।
घर के चौखट पर नन्हीं सी गुड़िया
पास में फुदकती प्यारी सी चिड़िया
लुका-छिपी का यह खेल
क्रम-दर-क्रम बढ़ना
यादों के झरोखे से
एक मधुर संगीत सुनाती है।
धीरे-धीरे यादें अब अवशेष रह गईं
लुका-छिपी का खेल स्मृति-शेष रह गया
न रहा गांव, न रहा मुंडेर
गौरैया कहानी के बीच रह गई।
गुड़िया अब बड़ी होकर सयानी हुई
उसके एक मुनिया रानी हुई
जिसे उसने गौरैया की कहानी सुनाई
मुनिया मुस्कुराई फिर चिल्लाई
मां गौरैया तो दिखाओ
कहानी की वास्तविकता तो समझाओ
मुनिया के प्रश्नों पर गुड़िया झुंझलाई
दिल का दर्द आंखों में छलक आया
मुनिया को मोबाइल टावर दिखाया
फिर उसको धीरे से समझाया
इसमें बैठा है एक भयानक दरिंदा
जिसने छीना हमसे एक प्यारा परिंदा
गौरैया का दुश्मन हमने बनाया
उसे छाती-पेट से लगाया।
उसने छीना है हमारी प्यारी गौरैया
रह गई स्मृतियों में न्यारी गौरैया
गौरैया को यदि बचाना है
तो दरिंदे को मिटाना है
नहीं तो कहानियों में रह जाएगी गौरैया
मुनिया के प्रश्नों का उत्तर ना दे पाएगी दुनिया।।
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