ठाकुरदास ' सिध्द '
तरुणाई को चुप कराना चाहता है।
इसलिए माफिक बहाना चाहता है।।
साथ अपने कर लिए उसने लफंगे।
और अब ताकत दिखाना चाहता है।।
गालियों वाली बना ली फौज है जो।
गोलियों वाली बनाना चाहता है।।
हम अमन के गीत गाते हैं मगर वो।
नफरतों वाला तराना चाहता है।।
पाक दामन जो रहे नायक हमारे।
दाग दामन में लगाना चाहता है।।
वह रहे वाचाल बाकी बेज़ुबाँ हों।
जाने वह कैसा ज़माना चाहता है।।
अब अँधेरा हो चला बेहद घना है।
' सिद्ध ' इक दीपक जलाना चाहता है।।
इसलिए माफिक बहाना चाहता है।।
साथ अपने कर लिए उसने लफंगे।
और अब ताकत दिखाना चाहता है।।
गालियों वाली बना ली फौज है जो।
गोलियों वाली बनाना चाहता है।।
हम अमन के गीत गाते हैं मगर वो।
नफरतों वाला तराना चाहता है।।
पाक दामन जो रहे नायक हमारे।
दाग दामन में लगाना चाहता है।।
वह रहे वाचाल बाकी बेज़ुबाँ हों।
जाने वह कैसा ज़माना चाहता है।।
अब अँधेरा हो चला बेहद घना है।
' सिद्ध ' इक दीपक जलाना चाहता है।।
पता
सिद्धालय 672 - 41 सुभाष नगर
दुर्ग - 491001 छत्तीसगढ़
मो. - 9406375695
दुर्ग - 491001 छत्तीसगढ़
मो. - 9406375695
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