तब भी तिकड़ी थी, अब है, तो दोष कैसा मित्र?
आलेख
खिलवाड़ न करें धरती की चुम्बकीय शक्ति से : गोवर्धन यादव
देवार गीत म संस्कृति के महक : देवचंद बंजारे
अनुवाद
मूल ( अंग्रेजी ) द नाइटिंगल एण्ड द रोज: आस्कर वाईल्ड
( अनुवाद ): बुलबुल और गुलाब : व्दिजेन्द्र
कहानी
अखबार में नाम : यशपाल
रीती हुई :अनिल प्रभा कुमार
डे केयर : विद्या सिंह
लघुकथा
बालकृष्ण गुप्ता ' गुरू ' की छह लघुकथाएं
दो लघुकथाएं : कुबेर
गोवर्धन यादव की लघुकथाएं
और बारिस होने लगी : सुरेश सर्वेद
शोध लेख
दलित साहित्य : उद्भ्ाव और विकास : यदुनंदन प्रसाद उपाध्याय
'' शिकंजे का दर्द '' में निहीत : दलित चेतना :अब्दुल हासिम
प्रेमकुमार मणि की रचना दृष्टि और विचारधारा : मनीष कनौजे
व्यंग्य
दुर्योधन काबर फेल होथे: दुरगा प्रसाद पारकर ( छत्तीसगढ़ी )
स्वार्थ के शिरोमणि : कांशीपुरी कुंदन
हे भगवान, यह कैसी प्रतियोगिता : प्रभुदयाल श्रीवास्तव
गीत / ग़ज़ल / कविता
कृष्ण कुमार '' मयंक '' की चार ग़ज़लें
हर तरफ चली है ( गजल ) : कविता सिंह '' वफा ''
काम नहीं जो करता ( गजल ) : श्याम '' अंकुर ''
जितेन्द्र '' सुकुमार '' की तीन गजलें
सहारों के सहारे सारे ( गजल ) : सदानंद सुमन
ऐसी कोई चटटान नहीं ( नवगीत ) : विनय शरण सिंह
डॉ. कौशल किशोर श्रीवास्तव की दो कविताएं
सैंया भये कोतवाल : डॉ. पीसीलाल यादव ( छत्तीसगढ़ी गीत )
तइहा के जीनीस नंदा गे रे: गणेश यदु ( छत्तीसगढ़ी गीत )
तोर संग जोरेव पीरीत : विट्ठल राम '' निश्छल '' ( छत्तीसगढ़ी गीत )
राजनीति
बिहार हार के मायने : डॉ.संजीत कुमार
पुस्तक समीक्षा
स्वार्थ के वायरस : समीक्षक यशवंत
प्रविष्टियां
प्रविष्टियां आमंत्रित
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विकास का पर्याय बनी सड़कें ( विज्ञापन )
राजिम कुंभ 2016
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