इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख खेती-किसानी ले जुड़े तिहार हरे हरेलीः ओमप्रकाश साहू ' अंकुर ' यादें फ्लैट सं. डी 101, सुविधा एन्क्लेव : डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ' मृदुल' कहानी वह सहमी - सहमी सी : गीता दुबे अचिंत्य का हलुवा : राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल एक माँ की कहानी : हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन अनुवाद - भद्रसैन पुरी कोहरा : कमलेश्वर व्‍यंग्‍य जियो और जीने दो : श्यामल बिहारी महतो लधुकथा सीताराम गुप्ता की लघुकथाएं लघुकथाएं - महेश कुमार केशरी प्रेरणा : अशोक मिश्र लाचार आँखें : जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी तीन कपड़े : जी सिंग बाल कहानी गलती का एहसासः प्रिया देवांगन' प्रियू' गीत गजल कविता आपकी यह हौसला ...(कविता) : योगेश समदर्शी आप ही को मुबारक सफर चाँद का (गजल) धर्मेन्द्र तिजोरी वाले 'आजाद' कभी - कभी सोचता हूं (कविता) : डॉ. सजीत कुमार सावन लेकर आना गीत (गीत) : बलविंदर बालम गुरदासपुर नवीन माथुर की गज़लें दुनिया खारे पानी में डूब जायेगी (कविता) : महेश कुमार केशरी बाटुर - बुता किसानी/छत्तीसगढ़ी रचना सुहावत हे, सुहावत हे, सुहावत हे(छत्तीसगढ़ी गीत) राजकुमार मसखरे लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रचनाएं उसका झूला टमाटर के भाव बढ़न दे (कविता) : राजकुमार मसखरे राजनीति बनाम व्यापार (कविता) : राजकुमार मसखरे हवा का झोंका (कविता) धनीराम डड़सेना धनी रिश्ते नातों में ...(गजल ) बलविंदर नाटक एक आदिम रात्रि की महक : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी से एकांकी रूपान्तरणः सीताराम पटेल सीतेश .

बुधवार, 10 फ़रवरी 2016

तइहा के जीनीस नंदा गे रे

गणेश यदु  
तइहा के बात ल बइहा लेगे, नवां जमाना आ गे रे।
मोला बड़ संसो होथे जी, तइहा के जिनीस नंदागे रे।।
        पहाती समे ढेंकी के बजना,
        मूसर म जी मेरखू ल कूटना।
        जांता के घरर - घरर - घर करना,
        टेड़ा - पाटी म पानी पलोना।।
पनिहारिन के मुचमुच हंसना कहां गंवागे रे।
मोला बड़ संसो होथे जी, तइहा के जिनीस नंदागे रे।।
        सड़क तीर खेत खार कहां गे,
        गाँव के खरिखाडांड़ कहां गे।
        चरांगन - चारा ल कोन ह खा गे,
        चरवाहा - राउत कहां परागे।
कसेली के दूध अउ दही कहां बोहागे रे।
मोला बड़ संसो होथे जी, तइहा के जिनीस नंदागे रे।।
        छकड़ा गाड़ी, घांटी नंदागे,
        कुआं के टेड़ा - पाटी नंदागे।
        ढेंकी जाता - घानी ह नंदागे,
        गिल्ली , भौंरा अउ बांटी नंदागे।।
नानपन के खेलकूद ल कोन ह चोरागे रे।
मोला बड़ संसो होथे जी, तइहा के जिनीस नंदागे रे।।
        मोटयारी के खोपा ह नइहे,
        खोपा म दावना, गोंदा नइहे।
        बेनी फुंदरा - फीता ह नइहे,
        मितान बदई के जोखा नइहे।
गोदना गोदइया अउ गवइया नंजरागे रे
मोला बड़ संसो होथे जी, तइहा के जिनीस नंदागे रे।।
       चुटकी, पइरी, पैजन अउ टोंड़ा,
        ऐंठी, पहूंची, ककनी - बनुरिया।
       सुंररा, सूंता, पुतरी - नवलखिया,
       फुली, खिनवा, ढार, बारी - पनिया।
ए गहना - गूठा के पहिरइया मन कहां गे रे।
मोला बड़ संसो होथे जी, तइहा के जिनीस नंदागे रे।।
        हरेली परब म पान खोंचइया,
        भितिया म पुतरी  - पुतरा बनइया।
        बांस खाप के गेंड़ी बनइया,
        रेंहची अउ गेंड़ी के चघइया।
डंडा पचरंगा तुये के खेलइया कहां गे रे।
मोला बड़ संसो होथे जी, तइहा के जिनीस नंदागे रे।।
        तीजा के लेनदार ह कहां गे,
        बेटी बर मया - दुलार कहां गे।
        सगा माने के रिवाज कहां गे,
        तीजा - पोरा म पियार कहां गे।
लइका मन के नंदिया बइला कहां भगा गे रे।
मोला बड़ संसो होथे जी, तइहा के जिनीस नंदागे रे।।
        गुरतुर पपची, बोबरा - अनअइरसा,
        ठेठरी, खुरमी, सोंहारी बरा।
        अंगाकर - चीला, फरा दूधफरा,
        खाये पाबे अब काखर करा।
अइसन कलेवा - मिठई ल बनइया कहां गे रे।
मोला बड़ संसो होथे जी, तइहा के जिनीस नंदागे रे।।
        परवार बर पीरा - मया नइहे,
       दाई - ददा संग रहइया नइहे।
       गोरसी तीर बइठइया नइहे,
       किस्सा - कहिनी के बतइया नइहे।
लोक संस्किरिति - संस्कार के देवइया कहां गे रे।
मोला बड़ संसो होथे जी, तइहा के जिनीस नंदागे रे।।
मोला बड़ संसों होथे जी, तइहा के जिनीस नंदागे रे।।
पता:
संबलपुर
जिला - कांकेर (छत्तीसगढ़) 494 635
मोबा. नं. 07898950591

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