इस अंक के रचनाकार

इस अंक के रचनाकार आलेख खेती-किसानी ले जुड़े तिहार हरे हरेलीः ओमप्रकाश साहू ' अंकुर ' यादें फ्लैट सं. डी 101, सुविधा एन्क्लेव : डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ' मृदुल' कहानी वह सहमी - सहमी सी : गीता दुबे अचिंत्य का हलुवा : राजेन्द्र प्रसाद काण्डपाल एक माँ की कहानी : हैंस क्रिश्चियन एंडर्सन अनुवाद - भद्रसैन पुरी कोहरा : कमलेश्वर व्‍यंग्‍य जियो और जीने दो : श्यामल बिहारी महतो लधुकथा सीताराम गुप्ता की लघुकथाएं लघुकथाएं - महेश कुमार केशरी प्रेरणा : अशोक मिश्र लाचार आँखें : जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी तीन कपड़े : जी सिंग बाल कहानी गलती का एहसासः प्रिया देवांगन' प्रियू' गीत गजल कविता आपकी यह हौसला ...(कविता) : योगेश समदर्शी आप ही को मुबारक सफर चाँद का (गजल) धर्मेन्द्र तिजोरी वाले 'आजाद' कभी - कभी सोचता हूं (कविता) : डॉ. सजीत कुमार सावन लेकर आना गीत (गीत) : बलविंदर बालम गुरदासपुर नवीन माथुर की गज़लें दुनिया खारे पानी में डूब जायेगी (कविता) : महेश कुमार केशरी बाटुर - बुता किसानी/छत्तीसगढ़ी रचना सुहावत हे, सुहावत हे, सुहावत हे(छत्तीसगढ़ी गीत) राजकुमार मसखरे लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की रचनाएं उसका झूला टमाटर के भाव बढ़न दे (कविता) : राजकुमार मसखरे राजनीति बनाम व्यापार (कविता) : राजकुमार मसखरे हवा का झोंका (कविता) धनीराम डड़सेना धनी रिश्ते नातों में ...(गजल ) बलविंदर नाटक एक आदिम रात्रि की महक : फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी से एकांकी रूपान्तरणः सीताराम पटेल सीतेश .

सोमवार, 16 नवंबर 2015

नवम्‍बर 2015 से जनवरी 2015


आलेख
ढोला - मारू की कथा - महावीर सिंह गेहलोत
छत्‍तीसगढ़ की लोकगाथा: लोरिक चंदा - डॉ. सोमनाथ यादव
कहानी
जेल - मुंशी प्रेमचंद
कर्जा - रवि श्रीवास्‍तव 
सड़ांध - डॉ. संजीत कुमार
पीपल का पेड़ - डॉ. गीता गीत
दर्द - रवि मोहन शर्मा
विस्‍थापित - कामिनी कामायनी
जिजीविषा- ज्‍योतिर्मयी पंत
आग - श्‍वेता मिश्रा
अर्धांगिनी - सीमा सचदेव
छत्‍तीसगढ़ी कहानी
बनिहार - दीनदयाल साहू
व्‍यंग्‍य
अपना - अपना लोकतंत्र - शशिकांत सिंह '' शशि ''
गीत / गजल / कविता / मुक्‍तक
' अंकुर ' की दो गज़लें
होना चाहिए था ( गजल )- जगन्‍नाथ ' विश्‍व'
मालुम था ( गजल) - जगन्‍नाथ ' विश्‍व'
दो गज़लें : इब्राहीम कुरैशी
अशोक ' अंजुम ' की पांच गज़लें
उसकी अतलांत गहराईयों में ( कविता ) : रोजलीन
करवा चौथ ( कविता ) : मुकेश गुप्‍ता
शुल से पत्‍थर नुकीेले ( कविता) : प्रभुदयाल श्रीवास्‍तव
बारिस ( कविता ): हरदीप बिरदी
मुक्‍तक : पं. गिरिमोहन गुरू ' नगरश्री' 
डॉ.पीसीलाल यादव की  तीन छत्‍तीसगढ़ी गीत
पुस्‍तक समीक्षा
छत्‍तीसगढ़ी उपन्‍यास '' दिन बहुरिस '' म लोक संस्‍कृति

समीक्षा : देवचंद बंजारे
साहित्यिक - सांस्‍कृतिक गतिविधियां
इंटरनेट की दुनिया में तेजी से पांव पसार रही है हिन्‍दी: यादव
कुमारी स्‍मृति और राहुल वर्मा की पुस्‍तक का विमोचन

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