सुधा शर्मा
मन जलतरंग हुआ धड़कनों ने गुनगुनाया है
पुरवा कहती है, फिर वसंत आया है।
झूम रही वासंती, खिल उठी कलियॉं
भ्रमरगीत गूँज रहे, बागों की गलियॉंं ।
पी- पी कह पपीहे ने, शोर मचाया है
पुरवा कहती है, फिर वसंत आया है।
मदिर - मदिर महुआ और बौर - बौर अमियॉं
मन सुवासित हो, करे अठखेलियॉं।
दहक उठे पलाश, तन अगन लगाया है
पुरवा कहती है,फिर वसंत आया है।
यौवन फूटे धरा के, फिर जवानी आई है
उमंग हिलाेर मारे, रुत सुहानी आई है।
उमर मतंग हुई मन बौराया है
पुरवा कहती है, फिर वसंत आया है।
नाच उठे अंग - अंग, सपनों ने ली अंगड़ाई
वासंती चुनरी ओढ़, नूतन छवि है पायी।
नव जीवन पा वसुधा ने, प्रणय गीत गाया है
पुरवा कहती है फिर वसंत आया है।
रचो कोई गीत नया, आज गीतकार तुम
मनोभाव बॉंध - बॉंध, करो सुर - श्रृंगार तुम
सप्त - सुर जगाओ मॉं, ऋतुराज आया है।
वासंती कहती है, फिर वसंत आया है।
पता -
ब्राम्हण पारा, राजिम
जिला - रायपुर (छ.ग.)
मोबा. 9993048495
मन जलतरंग हुआ धड़कनों ने गुनगुनाया है
पुरवा कहती है, फिर वसंत आया है।
झूम रही वासंती, खिल उठी कलियॉं
भ्रमरगीत गूँज रहे, बागों की गलियॉंं ।
पी- पी कह पपीहे ने, शोर मचाया है
पुरवा कहती है, फिर वसंत आया है।
मदिर - मदिर महुआ और बौर - बौर अमियॉं
मन सुवासित हो, करे अठखेलियॉं।
दहक उठे पलाश, तन अगन लगाया है
पुरवा कहती है,फिर वसंत आया है।
यौवन फूटे धरा के, फिर जवानी आई है
उमंग हिलाेर मारे, रुत सुहानी आई है।
उमर मतंग हुई मन बौराया है
पुरवा कहती है, फिर वसंत आया है।
नाच उठे अंग - अंग, सपनों ने ली अंगड़ाई
वासंती चुनरी ओढ़, नूतन छवि है पायी।
नव जीवन पा वसुधा ने, प्रणय गीत गाया है
पुरवा कहती है फिर वसंत आया है।
रचो कोई गीत नया, आज गीतकार तुम
मनोभाव बॉंध - बॉंध, करो सुर - श्रृंगार तुम
सप्त - सुर जगाओ मॉं, ऋतुराज आया है।
वासंती कहती है, फिर वसंत आया है।
पता -
ब्राम्हण पारा, राजिम
जिला - रायपुर (छ.ग.)
मोबा. 9993048495
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