इब्राहीम कुरैशी
इल्म की शम्अ जलाओ तो कोई बात बने।
घरों में रौशनी लाओ तो कोई बात बने।।
कल अंजाम जो भी होगा तो देखा जायेगा,
सोच ये अपनी बनाओ तो कोई बात बने।
हमारे आशियानों में अंधेरे काबिज़ है,
बला को मार भगाओ तो कोई बात बने।
कर के साजिश हाए मक्कार बन गए रहबर,
आईना उनको दिखाओ तो कोई बात बने।
अक्सर मिल जाएँगे गिरतों को गिराने वाले,
दौड़कर उनको उठाओ तो कोई बात बने।
ये जुल्म की रात बड़ी लंबी हुई जाती है,
एक सूरज ऊगाओ तो कोई बात बने।
दिलों के बीच ये नफरत की ल$कीरें क्यों है,
आगे बढ़कर इसे मिटाओ तो कोई बात बने।
सोते रहोगे यूँ ही तो न मिलेगी मंजिल,
जागो और सबको जगाओ तो कोई बात बने।
इल्म की शम्अ जलाओ तो कोई बात बने।
घरों में रौशनी लाओ तो कोई बात बने।।
कल अंजाम जो भी होगा तो देखा जायेगा,
सोच ये अपनी बनाओ तो कोई बात बने।
हमारे आशियानों में अंधेरे काबिज़ है,
बला को मार भगाओ तो कोई बात बने।
कर के साजिश हाए मक्कार बन गए रहबर,
आईना उनको दिखाओ तो कोई बात बने।
अक्सर मिल जाएँगे गिरतों को गिराने वाले,
दौड़कर उनको उठाओ तो कोई बात बने।
ये जुल्म की रात बड़ी लंबी हुई जाती है,
एक सूरज ऊगाओ तो कोई बात बने।
दिलों के बीच ये नफरत की ल$कीरें क्यों है,
आगे बढ़कर इसे मिटाओ तो कोई बात बने।
सोते रहोगे यूँ ही तो न मिलेगी मंजिल,
जागो और सबको जगाओ तो कोई बात बने।
पता
स्टेशन रोड, महासमुन्द (छ.ग.)- 493445
मोबाईल - 08982733227
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