गणेश यदु
आजा रे मोर संगवारी सबो सुख हे गाँव म।
सुरुज ललचय सुसताये बर, पीपर - बर छॉव म।।
गोकुल कस गाँव म, चरवाहा कन्हइया ए।
जसोदा कस महतारी, बर - कदम के छंइया ए।।
कसेली के दूध नई मिलय, सहर के मोल भाव म ...।
गाँव म हावय तीरिथ संगी गाँव म हावय धाम।
मंदिर , देवाला, गौरा - चंवरा, रमायन म राम।।
नंदिया - नरवा गंगा सांही, लछमी हे पटाव म ...।
गुंडरा हमर बाग - बगइचा, चातर ह मइदान।
खेती - किसानी जिनगी हमर, जंगल हे परान।।
गाँव म अपन - बिरान के सुन्दर हाव - भाव म ...।
कुकरा बासती के पाहटा, बिहनिया के बासी।
चिरई - चुरगुन के बोली अउ बुढ़वा के खांसी।।
अतका सुग्घर पुरवाही कहां पाबे काँव - काँव म ...।
सेवा करबो ए धरती के दया कभू त उलही।
दुख - पीरा सहिके रहिबो, घुरवा कस दिन बहुरही।।
मया - पीरित ल बिसर झनि तै पर के बरगलाव म।
आजा रे संगवारी सबो सुख हे गाँव म।
पता - सम्बलपुर, जिला - कांकेर पिन - 494635
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