डॉ. केवल कृष्ण '' पाठक ''
जहां द्वेष-भावना प्रबल हो
जातिवाद परचम लहराए
ऊपर-ऊपर मीठा-मीठा बोले
अन्दर-अन्दर छुरी चलाए
ऐेसे वातावरण में कैसे
प्रेम ज्योति की ज्योत जलाऊँ
दीवाली किस तरह मनाऊँ
हर एक को पैसे की चिंता
देखने में लगता है साधु
लूट- मार कर के घर भरना
धनपति हो जाने का जादू
देश-प्रेम की नहीं है चिंता
ऐसे में अब कहां मैं जाऊँ
दीवाली किस तरह मनाऊँ
चाहते सबका मालिक बनना
पर अपने को नहीं जानते
अनुशासन का करें उलंघन
संयम करना नहीं जानते
दूजे का घर उजड़ रहा तो
कैसे घर में खुशी मनाऊँ
दीवाली किस तरह मनाऊँ
उग्रवाद का साम्राज्य है
हत्या को ही धर्म मानते
दया-भाव न मनमें किसी के
वे तो हत्या करना जानते
ऐसा ही सब हाल देख के
विचलित होकर नीर बहाऊँ
दीवाली किस तरह मनाऊँ
झूठ - कपट सबके मन में है
नहीं चरित्र निर्माण हो रहा
भारत एक महान देश था
शनै-शनै अब प्राण खो रहा
युवा देश को गलत दिशा लें
तब मैं कैसे हर्ष मनाऊँ
दीवाली किस तरह मनाऊँ
अब तो सब फीका लगता है
उत्सव का उत्साह नहीं है
मन में कोई खुशी न हो तो
लीक पीटना चाह नहीं हैे
जब सबके मन ज्योतित हों
तब ही मैं दीवाली मनाऊँ
चहूं दिशा में दीप जलाऊँ
अन्तर-मन प्रकाश फैलाऊँ
पता -
343/ 19, आनन्द निवास,
गीता कॉलोनी,
जीन्द - 126102 हरियाणा
मोबाईल : 941638948
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