इस अंक के रचनाकार
सम्पादकीय : क्या संस्कृति विभाग अपनी चैतन्य अवस्था का परिचय देगा ?सुरता
अन्तर्वेदना के कवि डॉ. रतन जैन : वीरेन्द्र बहादुर सिंह
कहानी
एक पाव की जिंदगी: रामनाथ शुक्ल ' श्रीनाथ '
पथराई ऑंखें : मनोज शुक्ल ' मनोज '
आमेली ( अनुवाद ) : कृष्ण कुमार ' अजनबी '
चायवाली अम्मा : नरेश श्रीवास्तव
आ अब लौट चलें : गोपाल सिंह कलिहारी
संपत अउ मुसवा (छत्तीसगढ़ी ) : कुबेर
एक चरवाहा साहित्यकार की कथा : सुरेश सर्वेद
व्यंग्य
दर्शन - प्रदर्शन : रामसाय वर्मा
लघुकथाएं
अलाव : डॉ. रामशंकर चंचल
प्रदर्शनी : गार्गीशरण मिश्र ' मराल '
चिंगारियां : मुहम्मद बशीर मालेरकोटलवी
अफसर : डॉ. महेन्द्र कुमार ठाकुर
कविता
मॉं और मैं : भीखम गांधी ' भक्त ' भोजन :यशवंत मेश्राम
गीत
आसमान से कितने ही तारे : श्रीमती रवि रश्मि अनुभूति,कलम जागरण गाती है : हरप्रसाद ' निडर ',धावा बोल रहे हैं : सुनील कुमार ' तनहा '
ग़ज़ल
अब्दुस्सलाम कौंसर की चार ग़ज़लें, मुझे जिंदगी में क्या मिला : श्रीमती गरिमा पटेल
पुस्तक समीक्षा
जीवन के विभिन्न रंग दिखाती कहानियां : ओमप्रकाश कादयान
साहित्यिक - सांस्कृतिक गतिविधियॉं
डॉ. विनय पाठक के सम्मान में हुई कविता गोष्ठी
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