इस अंक के रचनाकार
संपादकीय: डां. बख्शी एवं श्री नायक को आदरांजलिक्यों हो जाता है उत्तर जटिल ...?
सुरता
उदार मना बख्शी जी : हीरालाल अग्रवाल
मेरी स्मृति में कृष्ण कुमार नायक : चन्द्रकांत ठाकुर
कृष्ण कुमार नायक : अद्भूत कवि एवं गज़ल़कार : संजय यादव
कविता के लिए जीना मरना मैंने नायक में देखा : आचार्य सरोज व्दिवेदी
भाषा और चमत्कार को नकारते थे बख्शी जी : कृष्णा श्रीवास्तव ' गुरुजी '
कहानी
अमरबेल ( छत्तीसगढ़ी ) सुशील भोले
बरगद का पेड़ : बाके बिहारी शुक्ल
नई कविता की समझ : गिरीश बख्शी
व्यंग्य
शांतिदूत : नूतन प्रसाद
बिगन दाईज बिहाव के सुख ( छत्तीसगढ़ी ) विट्ठलराम साहू ' निश्छल'
बेरोजगारों के लिए रोजगार ही रोजगार : कांशीपुरी कुंदन
बालकथा
बुद्धुराम की बुद्धि : सृष्टि शर्मा
व्यक्तित्व
प्रेरक काव्य के सर्जक : ठाकुर नारायण सिंह - वीरेन्द्र बहादुर सिंह
गीत
सशक्त नारी : संतोष प्रधान कचंदा, सपने सारे टूट गए : डॉ. नथमल झॅवर, झन रेंगे कर : आत्माराम कोशा ' अमात्य ' सरग ह जेखर एड़ी के धोवन: डॉ. पीसीलाल यादव, मनखे : गणेश यदु, तयं अउ मंय चल : मुकुंद कौश्ाल, अमुवा म मंजरा : श्रीमती सौरिन चन्द्रसेन
गज़ल
ऐसा भी उनसे : महेन्द्र राठौर, लाठी माला और भुजाली : डॉ. जवाहर लाल ' बेकस ' , इन रस्तों की धूप : डॉ. महेन्द्र अग्रवाल
कविता
बृजकस मोर गॉव : आनंद तिवारी पौराणिक,नहीं मिला एक आदमी : सुनील कुमार ' तनहा ', फुटपाथ : जितेन्द्र कुमार साहू, जब तुम्हारी जिंदगी : संदीप भारती ' होरी ', शब्द बोलते हैं : डिहुर राम निर्वाण 'प्रतप्त', सबके मन में ( नवगीत ) : श्याम अंकुर, सूना - सूना : डॉ. जयजयराम आनंद, स्व. कृष्ण कुमार नायक की कुछ रचनाएं
पुस्तक समीक्षा
छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह ' ढेंकी ' एवं काव्य संग्रह
' बहुमंजरी '
साहित्यिक सांस्कृतिक गतिविधियां
साकेत साहित्य परिषद ने अपना नवम स्थापना दिवस मनाया
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