रमेश चन्द्र शर्मा '' चन्द्र ''
1
प्रेयसी के नाम पर प्यारी ग़ज़ल
जिन्दगी से आज वह हारी ग़ज़ल
क़ाफ़िये भी ठीक से मिलते नहीं
शाइरों की बुद्धि ने मारी ग़ज़ल
बन के माली लूटते हैं जो चमन
संग चमन के कैसी गद्दारी ? ग़ज़ल
बहिन, बेटी कह रहे व्यवहार में
नज़र उनकी लगती बाज़ारी ग़ज़ल
देखकर मौसम बदलने चाहतें
देखिये कितनी अदाकारी ? ग़ज़ल
अब न चुप बैठे दहाड़े जा रही
सिंहनी सी आज की नारी ग़ज़ल
कौन करता प्यार निर्धन से यहॉ ?
जिन्दगी बिन प्यार दुखियारी, ग़ज़ल
2
बात - की - बात थी
जीत भी मात थी
चाँदनी थी खिली
मदमस्त रात थी
आप रूठे रहे
आपकी बात थी
हम खिलाड़ी नये
मात - पर - मात थी
आँसू रूकते नहीं
कैसी सौगात थी ?
हम अकेले नहीं
बेबसी साथ थी
जिन्दगी, मौत भी
आपके हाथ थी
पथ का रोड़ा बने
किसकी औकात थी ?
सुख ? आज और अबïï
दुख ? कल की बात थी।
बात - की - बात थी
जीत भी मात थी
चाँदनी थी खिली
मदमस्त रात थी
आप रूठे रहे
आपकी बात थी
हम खिलाड़ी नये
मात - पर - मात थी
आँसू रूकते नहीं
कैसी सौगात थी ?
हम अकेले नहीं
बेबसी साथ थी
जिन्दगी, मौत भी
आपके हाथ थी
पथ का रोड़ा बने
किसकी औकात थी ?
सुख ? आज और अबïï
दुख ? कल की बात थी।
पता - डी 4, उदय हाउसिंग सोसाइटी
वैजलपुर, अहमदाबाद - 380051
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