बनिहार
- बोधन प्रसाद पाटकर
खाये बर पेज पसीया पाथे
काम नई मिलय वो दिन करम ठठाथे
नोनी बाबू मन रोवत सुत जाथे
होली दसेरा देवारी तिहार आथे
नवा कपड़ा बर लइका मन तरस जाथे
आज अइका मन मिठाई बताशा खाथे
बनिहार लइका ल चांउर रोटी मं भुलियारथे
हालत देख लइका के जीव तरफ जाथे
आंसू पीयत, छाती पीटत तिहार चले जाथे
बनिहार के बेटी बेटा जवानी मं बूढ़ा जाथे
जीवन में दू घड़ी सुख बर तरस जाथे ।
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खेत खार
धान के सोनहा बाली मस्ती म झुमरत हे
लइका पटकाउ मन मन गढ़कत हे
गंहू चांदी कस कर्रा मेछा ल अइठत हे
चना बिचारा लुटरा मुड़ उठाके देखात हे ।
पिंयर लुगरा पहिने सरसों गावत हे
सुवा ददरिया भौरा गीत सुनावत हे
कुसुम कुंवारी मटक मटक के नाचत हे
बुढ़वा राहेर मांदर मं थाप लगावत हे
खार खार मं महुआ तेंदू, आमा खड़े अटियावत हे
मुसुर मुसुर महुवा मुसकाथे, आमा के मोर महकत हे
चार मकाइया लइका मन के मन ला ललचावत हे
किंजर किंजर के भरे मंझनिया मन भर के खावत हे
पता . व्दारा -, आनंद तिवारी पौराणिक
श्रीराम टाकीज मार्ग
महासमुंद
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