कृष्ण कुमार अजनबी
जिनगी आए दुएच दिन के मेला संगी।
आए हन अकेल्ला जाबोन अकेल्ला संगी।।
अमरित पी के कोनो नी आए हे इंहा।
एको दिन तो जाएच ल हे सबेला संगी।।
मया के गोठ ल तैं गोठियाले जी भर के।
कोंजनी आ जहि कब काल लेएला संगी।।
अमरित पी के कोनो नी आए हे इंहा।
एको दिन तो जाएच ल हे सबेला संगी।।
मया के गोठ ल तैं गोठियाले जी भर के।
कोंजनी आ जहि कब काल लेएला संगी।।
जिनगी के बारी म कमाले यश के केरा।
झन कमा कुयश के करू करेला संगी।।
काम क्रोध अउ मद लोभ के दैहान म।
झन जाबे कभू तैंहा चारा चरेला संगी।।
सच्चाई धरम अउ नियाय अहिंसा के।
कान फूंका के तैं बन आज ले चेला संगी।।
परेम पिरित बिना सुन्ना ए जिनगानी।
माटी कस घुरत हावय तन ढेला संगी।।
सत करम आए तोर सरग निसैनी।
कुकर्मी ल परथे नरक भोगेला संगी।।
गोदना गोदाय म फबथे सुग्घर तन।
झन कमा कुयश के करू करेला संगी।।
काम क्रोध अउ मद लोभ के दैहान म।
झन जाबे कभू तैंहा चारा चरेला संगी।।
सच्चाई धरम अउ नियाय अहिंसा के।
कान फूंका के तैं बन आज ले चेला संगी।।
परेम पिरित बिना सुन्ना ए जिनगानी।
माटी कस घुरत हावय तन ढेला संगी।।
सत करम आए तोर सरग निसैनी।
कुकर्मी ल परथे नरक भोगेला संगी।।
गोदना गोदाय म फबथे सुग्घर तन।
मन के मइल ल उज्जर धोएला संगी।।
सुख अउ दुख आए जिनगी के दु रंग।
कभु हांसेला परथे कभु रोएला संगी।।
हाथ गोड़ म मेंहदी माहुर मुहूं म पान।
मया के रंग म रचा मन हे तेला संगी।।
संगवारी बिन सच रस नईए जीवन म।
भिड़ाले जोड़ी कहुंचो ले अलबेला संगी।।
कोन पतियाही तोर मन के बात ल अजनबी।
सब्बो झिन झेलत हे अपन झमेला संगी।।
कभु हांसेला परथे कभु रोएला संगी।।
हाथ गोड़ म मेंहदी माहुर मुहूं म पान।
मया के रंग म रचा मन हे तेला संगी।।
संगवारी बिन सच रस नईए जीवन म।
भिड़ाले जोड़ी कहुंचो ले अलबेला संगी।।
कोन पतियाही तोर मन के बात ल अजनबी।
सब्बो झिन झेलत हे अपन झमेला संगी।।
देवभोग गरियाबंद (छ ग)
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