जगतसिंह ठाकुर 'बंजारीवाले'
श्रीहरि प्रकटे मध्य रात्रि में , बाल कृष्ण भगवान ।
पावन जन्माष्टमी दिवस है , अनुकूल खूब जान ।।
बादल गरजे चमके बिजली , छाये घन घनघोर ,
अति अँधियारी रजनी माई , सन्नाटा चहुँ ओर ।
माता देवकी समीप खड़े , प्रभु विखेर मुस्कान ।।
पावन जन्माष्टमी दिवस है , अनुकूल खूब जान ।।1।।
चक्र-गदा-पद्म धारण किये , शंख लिए हैं हाथ ,
कौस्तुभमणि है गले विराजे , वनमाला के साथ ।
कीरिट मुकुट माथ सोहत है , श्यामल रूप निधान ।।
पावन जन्माष्टमी दिवस है , अनुकूल खूब जान ।।2।।
राजीवनयन चन्द्र - सा वदन , पीताम्बर कटि सोह ,
नूपुर सोहत पादपद्म में , जीव चराचर मोह ।
देखे जब वसुदेव - देवकी , विनती किये सुजान ।।
पावन जन्माष्टमी दिवस है , अनुकूल खूब जान ।।3।।
बेड़ी छूटी हाथ - पाँव की , मूर्छित पहरेदार ,
प्रभु आज्ञा टोकरी मध्य रख , खुश बसुदेव अपार ।
यमुना पार कृष्ण को पहुँचा , नन्द के घर सुठान ।।
पावन जन्माष्टमी दिवस है , अनुकूल खूब जान ।।4।।
लेकर लौटे योग मातु को , पहुँचे कारावास ,
मथुरावासी जान न पाये , हुआ न कुछ आभास ।
प्रातः पहुँचा कंसासुर है , बन्दीगृह नादान ।।
पावन जन्माष्टमी दिवस है , अनुकूल खूब जान ।।5।।
ऐसी लीला श्रीहरि की थी , प्रभु महिमा अनन्त ,
गावत 'ठाकुर' वेद - शास्त्र है , ज्ञानी - सन्त - महन्त ।
जन्मे मथुरा पले गोपपुर , यशोदा दृग - दुलार ।।
पावन जन्माष्टमी दिवस है , अनुकूल खूब जान ।।6।।
××××××××
सम्पर्क सूत्र--9406057763 , 6266524261
पावन जन्माष्टमी दिवस है , अनुकूल खूब जान ।।
बादल गरजे चमके बिजली , छाये घन घनघोर ,
अति अँधियारी रजनी माई , सन्नाटा चहुँ ओर ।
माता देवकी समीप खड़े , प्रभु विखेर मुस्कान ।।
पावन जन्माष्टमी दिवस है , अनुकूल खूब जान ।।1।।
चक्र-गदा-पद्म धारण किये , शंख लिए हैं हाथ ,
कौस्तुभमणि है गले विराजे , वनमाला के साथ ।
कीरिट मुकुट माथ सोहत है , श्यामल रूप निधान ।।
पावन जन्माष्टमी दिवस है , अनुकूल खूब जान ।।2।।
राजीवनयन चन्द्र - सा वदन , पीताम्बर कटि सोह ,
नूपुर सोहत पादपद्म में , जीव चराचर मोह ।
देखे जब वसुदेव - देवकी , विनती किये सुजान ।।
पावन जन्माष्टमी दिवस है , अनुकूल खूब जान ।।3।।
बेड़ी छूटी हाथ - पाँव की , मूर्छित पहरेदार ,
प्रभु आज्ञा टोकरी मध्य रख , खुश बसुदेव अपार ।
यमुना पार कृष्ण को पहुँचा , नन्द के घर सुठान ।।
पावन जन्माष्टमी दिवस है , अनुकूल खूब जान ।।4।।
लेकर लौटे योग मातु को , पहुँचे कारावास ,
मथुरावासी जान न पाये , हुआ न कुछ आभास ।
प्रातः पहुँचा कंसासुर है , बन्दीगृह नादान ।।
पावन जन्माष्टमी दिवस है , अनुकूल खूब जान ।।5।।
ऐसी लीला श्रीहरि की थी , प्रभु महिमा अनन्त ,
गावत 'ठाकुर' वेद - शास्त्र है , ज्ञानी - सन्त - महन्त ।
जन्मे मथुरा पले गोपपुर , यशोदा दृग - दुलार ।।
पावन जन्माष्टमी दिवस है , अनुकूल खूब जान ।।6।।
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सम्पर्क सूत्र--9406057763 , 6266524261